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कविता

सद्भावना मैच

हरिओम राजोरिया


गणतंत्र दिवस, पत्रकार एकादश,
सद्भावना, क्रिकेट और प्रशासन एकादश

ऊपर दिए शब्दों और शब्द बंधों को
ठीक तरह से पढ़ने की कोशिश कीजिए
यह एक खेल है
जैसे लुका-छिपी एक खेल होता है
एक थुलथुल पुलिस का दारोगा
जब गेंद की तरफ लुढ़कता हुआ जाता है
जिलाधीश होंठ दबाकर मुस्कराता है
फूड इंस्पेक्टर की तेज गेंद पर
सांध्य दैनिक का संपादक छक्का लगाता है
पुलिस अधीक्षक हुलसकर तालियाँ बजाता है
देश के तमाम पिछड़े हुए जिलों में
यह खेल छब्बीस जनवरी को खेला जाता है
चाटुकारिता और सद्भावना का मिला-जुला रंग
प्रजातंत्र के दो खंभों की सीधी भिड़ंत

खिलाड़ियों की हँसी, खिलाड़ियों का मसखरापन
खिलाड़ियों की निर्लज्जता देखते ही बनती है
यहाँ नगदी पुरस्कार पाने के लिए
खाए-अघाए खिलाड़ियों में होड़ लगती है
पूरा का पूरा शेर-चीता क्लब आता है
गल्ला व्यापारी, किराना मर्चेंट सहित
गणमान्य गणों का मेला-सा लग जाता है
इस खेल को आप भी देखिए श्रीमान!
यह छब्बीस जनवरी के दिन खेला जाता है।


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